धनंजय महापात्रा, नई दिल्ली
केंद्रीय जांच एजेंसी (सीबीआई) ने देश भीतर एनजीओ की भारी संख्या को लेकर सवाल उठाए हैं। जांच एजेंसी ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया है कि अलग-अलग राज्यों को मिलाकर देश में 22 लाख से ज्यादा एनजीओ हैं। इनमें से 10% से भी कम अनुदान और खर्चे को लेकर बैलेंस शीट का ब्योरा जमा करवाते हैं।
अगर भारत की जनसंख्या 1.2 अरब भी मान लेते हैं तो इस आधार पर हर 535 आदमी पर एक एनजीओ बैठता है, जबकि गृह मंत्रालय के आंकड़े के मुताबिक देश में हर 940 लोगों पर एक पुलिसवाला है।
सीबीआई ने 20 राज्यों और 7 केंद्र शासित प्रदेशों का ब्योरा जुटाने के बाद सूचित किया कि इन राज्यों में 22 लाख 45 हजार 655 एनजीओ काम कर रहे हैं, जिसमें से 2 लाख 23 हजार 478 ने सोसायटी रजिस्ट्रार के पास अपना रिटर्न दाखिल किया है, जो महज 9.9% है।
एनजीओ की वास्तविक संख्या इससे काफी अधिक होगी क्योंकि इसमें मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, ओडिशा, कर्नाटक और तमिलनाडु जौसे राज्यों के एनजीओ शामिल नहीं हैं।
वकील एम. एल. शर्मा ने एनजीओ को रेग्युलेट करने की मांग करते हुए एक जनहित याचिका दाखिल की है। इस पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस एच एल दत्तू, जस्टिस ए. के. सीकरी और जस्टिस आर. के. अग्रवाल की बेंच ने हालात को लेकर चिंता जताई और अडिशनल सलिसिटर जनरल पी. एस. पटवालिया से पूछा, 'क्या एनजीओ से यह नहीं कहा जा सकता कि अनिवार्य रूप से अकाउंट का लेखा-जोखा रखें?'
इस पर पटवालिया से सलाह दी, 'एनजीओ से कहा जा सकता है कि अनुदान पाने के लिए उन्हें पिछले तीन सालों का लेखा-जोखा जमा कराना होगा।' बेंच ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वह भी इस मुद्दे पर सुझाव दे।
उत्तर प्रदेश में एनजीओ की संख्या सबसे अधिक 5.48 लाख और उसके बाद महाराष्ट्र का नंबर आता है, जहां 51.8 लाख एनजीओ हैं। अन्य राज्यों में केरल में 3.69 लाख, राजस्थान में 1.36 लाख, पश्चिम बंगाल में 2.34 लाख, असम में 97,437, पंजाब में 84,752, उत्तराखंड में 62,632, गुजरात में 61,959 और बिहार में 33,781 एनजीओ हैं।
कोर्ट ने एनजीओ से जुड़े आंकड़े नहीं देने पर तमिलनाडु और तेलंगाना को नोटिस भी जारी किया है। सीबीआई ने दोनों राज्यों की सुप्रीम कोर्ट से शिकायत दर्ज कराई थी। जांच एजेंसी ने यह भी बताया कि मध्य प्रदेश, ओडिशा, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश और हरियाणा से भी आंशिक आंकड़े ही मिले हैं।
केंद्र शासित प्रदेशों में दिल्ली ने अभी तक सीबीआई को आंकड़े नहीं दिए हैं, जबकि चंडीगढ़ में एनजीओ की संख्या सबसे ज्यादा 3981 है और किसी ने भी अधिकारियों के सामने अपना लेखा-जोखा जमा नहीं कराया है।
पुडुचेरी का रिकॉर्ड इस मामले में शानदार है। यहां 60 रजिस्टर्ड एनजीओ हैं और 46 ने सक्षम अधिकारी के सामने अपने अकाउंट के डीटेल्स जमा कराए हैं।
राज्यों से आंकड़ों को जुटाने और उसे पेश करने के लिए सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट से तीन महीने की मोहलत मांगी है। वकील शर्मा ने 2011 में जनहित याचिका दायर करके अन्ना हजारे के एनजीओ हिंद स्वराज ट्रस्ट पर फंड्स के दुरुपयोग का आरोप लगाया था।
लेकिन, सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका का दायरा बढ़ा दिया और सीबीआई को निर्देश दिया कि वह एनजीओ के बारे में देशभर से ब्योरा जुटाएं कि वे सक्षम अधिकारी के सामने अपने अकाउंट्स का ब्योरा जाम कर रहे हैं या नहीं।
Source: http://navbharattimes.indiatimes.com/india/india-has-one-policeman-for-every-940-persons-an-ngo-for-535/articleshow/45771934.cms
केंद्रीय जांच एजेंसी (सीबीआई) ने देश भीतर एनजीओ की भारी संख्या को लेकर सवाल उठाए हैं। जांच एजेंसी ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया है कि अलग-अलग राज्यों को मिलाकर देश में 22 लाख से ज्यादा एनजीओ हैं। इनमें से 10% से भी कम अनुदान और खर्चे को लेकर बैलेंस शीट का ब्योरा जमा करवाते हैं।
अगर भारत की जनसंख्या 1.2 अरब भी मान लेते हैं तो इस आधार पर हर 535 आदमी पर एक एनजीओ बैठता है, जबकि गृह मंत्रालय के आंकड़े के मुताबिक देश में हर 940 लोगों पर एक पुलिसवाला है।
सीबीआई ने 20 राज्यों और 7 केंद्र शासित प्रदेशों का ब्योरा जुटाने के बाद सूचित किया कि इन राज्यों में 22 लाख 45 हजार 655 एनजीओ काम कर रहे हैं, जिसमें से 2 लाख 23 हजार 478 ने सोसायटी रजिस्ट्रार के पास अपना रिटर्न दाखिल किया है, जो महज 9.9% है।
एनजीओ की वास्तविक संख्या इससे काफी अधिक होगी क्योंकि इसमें मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, ओडिशा, कर्नाटक और तमिलनाडु जौसे राज्यों के एनजीओ शामिल नहीं हैं।
वकील एम. एल. शर्मा ने एनजीओ को रेग्युलेट करने की मांग करते हुए एक जनहित याचिका दाखिल की है। इस पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस एच एल दत्तू, जस्टिस ए. के. सीकरी और जस्टिस आर. के. अग्रवाल की बेंच ने हालात को लेकर चिंता जताई और अडिशनल सलिसिटर जनरल पी. एस. पटवालिया से पूछा, 'क्या एनजीओ से यह नहीं कहा जा सकता कि अनिवार्य रूप से अकाउंट का लेखा-जोखा रखें?'
इस पर पटवालिया से सलाह दी, 'एनजीओ से कहा जा सकता है कि अनुदान पाने के लिए उन्हें पिछले तीन सालों का लेखा-जोखा जमा कराना होगा।' बेंच ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वह भी इस मुद्दे पर सुझाव दे।
उत्तर प्रदेश में एनजीओ की संख्या सबसे अधिक 5.48 लाख और उसके बाद महाराष्ट्र का नंबर आता है, जहां 51.8 लाख एनजीओ हैं। अन्य राज्यों में केरल में 3.69 लाख, राजस्थान में 1.36 लाख, पश्चिम बंगाल में 2.34 लाख, असम में 97,437, पंजाब में 84,752, उत्तराखंड में 62,632, गुजरात में 61,959 और बिहार में 33,781 एनजीओ हैं।
कोर्ट ने एनजीओ से जुड़े आंकड़े नहीं देने पर तमिलनाडु और तेलंगाना को नोटिस भी जारी किया है। सीबीआई ने दोनों राज्यों की सुप्रीम कोर्ट से शिकायत दर्ज कराई थी। जांच एजेंसी ने यह भी बताया कि मध्य प्रदेश, ओडिशा, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश और हरियाणा से भी आंशिक आंकड़े ही मिले हैं।
केंद्र शासित प्रदेशों में दिल्ली ने अभी तक सीबीआई को आंकड़े नहीं दिए हैं, जबकि चंडीगढ़ में एनजीओ की संख्या सबसे ज्यादा 3981 है और किसी ने भी अधिकारियों के सामने अपना लेखा-जोखा जमा नहीं कराया है।
पुडुचेरी का रिकॉर्ड इस मामले में शानदार है। यहां 60 रजिस्टर्ड एनजीओ हैं और 46 ने सक्षम अधिकारी के सामने अपने अकाउंट के डीटेल्स जमा कराए हैं।
राज्यों से आंकड़ों को जुटाने और उसे पेश करने के लिए सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट से तीन महीने की मोहलत मांगी है। वकील शर्मा ने 2011 में जनहित याचिका दायर करके अन्ना हजारे के एनजीओ हिंद स्वराज ट्रस्ट पर फंड्स के दुरुपयोग का आरोप लगाया था।
लेकिन, सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका का दायरा बढ़ा दिया और सीबीआई को निर्देश दिया कि वह एनजीओ के बारे में देशभर से ब्योरा जुटाएं कि वे सक्षम अधिकारी के सामने अपने अकाउंट्स का ब्योरा जाम कर रहे हैं या नहीं।
Source: http://navbharattimes.indiatimes.com/india/india-has-one-policeman-for-every-940-persons-an-ngo-for-535/articleshow/45771934.cms